तियानजिन में SCO 2025: पुतिन ने 10 मिनट तक पीएम मोदी का किया इंतज़ार , फिर होटल मे घंटेभर की वार्ता

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तियानजिन में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन 2025 के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अनौपचारिक लेकिन प्रभावशाली कूटनीति देखने को मिली, जब पुतिन ने मोदी के साथ एक ही कार से द्विपक्षीय बैठक स्थल तक जाने के लिए लगभग 10 मिनट तक प्रतीक्षा की।

यह इशारा दोनों देशों के बीच व्यक्तिगत विश्वास और निरंतर संवाद की प्राथमिकता को दर्शाता है, जिसने पूरे कार्यक्रम की सुर्खियां अपने नाम कर लीं।

 कार में लंबी बातचीत

दोनों नेता शिखर सम्मेलन स्थल से कार में निकले और रास्ते भर अनेक मुद्दों पर बातचीत करते रहे, जो द्विपक्षीय बैठक स्थल पहुंचने के बाद भी लगभग 45 मिनट तक वाहन में ही जारी रही।

इसके बाद एक होटल में औपचारिक बैठक हुई, जो करीब एक घंटे तक चली और जिसमें आपसी सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा सहित बहुपक्षीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।

 क्रेमलिन का पुष्टिकरण

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव के हवाले से बताया गया कि कार में दोनों नेताओं की आमने-सामने बातचीत लगभग एक घंटे तक चली, जो बातचीत की गंभीरता और गहराई को दर्शाती है।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर पुतिन की ऑरस लिमोज़ीन के अंदर की एक तस्वीर साझा कर इस विशेष बातचीत का संकेत भी दिया, जिसे कूटनीतिक गर्मजोशी की मिसाल के तौर पर देखा गया।

 शांति पर मोदी का संदेश

बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन संघर्ष के शीघ्र समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि मानवता का आह्वान है कि स्थायी शांति के रास्ते तलाशे जाएं।

यह संदेश भारत की संतुलित कूटनीतिक प्राथमिकताओं और संवाद आधारित समाधान की नीति को रेखांकित करता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार दोहराया गया है।

 रिश्तों की गर्मजोशी

दूसरी ओर, पुतिन ने सार्वजनिक रूप से मोदी को “प्रिय मित्र” कहकर संबोधित किया और भारत-रूस संबंधों के “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त” चरित्र को रेखांकित किया, जो इस मुलाकात के दृश्यों और बयानों में स्पष्ट झलकता रहा।

तियानजिन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेजबानी और त्रिपक्षीय सन्निकटता की झलक ने भी इस कूटनीतिक क्षण को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण बना दिया।

 संकेत और भविष्य का सहयोग

विशेष रूप से, साथ-साथ चलना, गले मिलना और एक ही कार में सफर करना जैसे संकेतक केवल प्रतीकात्मक नहीं थे, बल्कि वे भविष्य के आर्थिक, ऊर्जा और सुरक्षा सहयोग के लिए सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश का हिस्सा भी थे।

इन मुलाकातों ने यह संदेश दिया कि भारत और रूस कठिन समय में भी साथ खड़े रहते हैं और उनके उच्च-स्तरीय संपर्क संबंधों को नई ऊर्जा देते हैं।

  तियानजिन की इस मुलाकात ने यह दिखाया कि व्यक्तिगत रसायन और सूक्ष्म कूटनीति कभी-कभी औपचारिक घोषणाओं से अधिक प्रभाव छोड़ती है, और आने वाले महीनों में द्विपक्षीय पहलों के लिए मजबूत आधार तैयार करती है। यह पूरा घटनाक्रम न केवल SCO मंच पर साझेदारियों की दिशा को रेखांकित करता है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक संतुलन में भारत-रूस समीकरण की निरंतर प्रासंगिकता को भी पुष्ट करता है।

 

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